Initiative

A Unique Initiative for Village Empowerment & Environmental Protection

Emerging India is set to become world’s most populated country by 2030 with more than 1.53 billion people and there will be a huge challenge ahead for its agricultural sector to feed these extra mouths. The task becomes more challenging due to an impact of climate change and man-made calamities such as have tightening natural resources constraints (water & soil foot prints) and reducing cultivable land in wake of magnums unplanned urbanization. Besides, there is the biggest felon of soil degeneration due indiscriminate use of chemical fertilizers and pesticides. The extensive use of chemical fertilizers had led to the depletion of the soil carbon humus, the organic matter in the soil. There is a vital question of rural mal-nutrition, poverty and hunger in cities. Uncontrolled migration of rural youth to towns and cities leads to extra-burden on these destinations and infrastructure. Besides, rural youth do not get proper jobs due to their knowledge deficit in English and Computer Education. They need an appropriate skill and employment in their own rural environment. Providing education, skill development and jobs and business activity to the rural youth is meaningful if they are connected with Gramo-udyog and Gaushala. The father of nation, Mahatma Gandhi, also advocated Gramo-udyog and Gaushala for socio-economic empowerment of rural people. Even today, the cows have the ultimate key to provide solution to agri-community and can successfully contribute in their overall empowerment. There is an urgent need to focus and propagate Gau Sanskriti again to reunite the ecosystem for healing the world.

As envisioned by the Hon’ble Prime Minister of India Shri Narendra Modi, ”We consider ‘Cow’, a divine mother since the time immemorial. Gramo-udyog equipped with Gaushala can play a pivotal role in doubling income of India’s farmers”.

The project of Gauca Paradise aims to propagate meaningful interface of India’s ancient cow wisdom and world’s latest practices of ‘Gaushala’ and dairy management. It is an ambitious project of Maharishi Vashistha Institute of Gaushala Management & Research Council (MVIGMRC). Significantly, the council was founded on February 09, 2022 to mark Azadi Ka Amrit Mahotsav, the 75 years of India’s independence. The council is registered (No. 393890) with the Ministry of Corporate Affairs, Government of India under section 8 of the companies Act 2013. It is a unique institution to establish ‘Gau Grid’ as well as raise the standard of Gaushalas, dairy industry for a sustainable growth and policy implementation.Initiative

ग्रामसमाज सशक्तिारण व पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल

उभरता भारत 2030 तक 1.53 बिलियन से अधिक लोगों के साथ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने के लिए तैयार है। देश का कृषि क्षेत्र इन अतिरिक्त मनुष्यों को खिलाने के लिए एक बड़ी चुनौती का सामना करेगा। जलवायु (पानी और मिट्टी) परिवर्तन और मानव निर्मित आपदाओं के प्रभाव के कारण कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है जैसे कि प्राकृतिक संसाधनों की कमी और अनियोजित शहरीकरण के कारण खेती योग्य भूमि को कम करना। इसके अलावा, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग भी मिट्टी के क्षरण का कारण है। रासायनिक उर्वरकों के व्यापक उपयोग से मिट्टी में कार्बन ह्यूमस-मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की कमी हुई है। शहरों और ग्रामीण कुपोषण, गरीबी और भूख एक अहम सवाल है। ग्रामीण युवाओं के शहरों और कस्बों में अनियंत्रित प्रवेश से इन गंतव्यों और बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण युवाओं को अंग्रेजी और आधुनिक कंप्यूटर शिक्षा में उनके अल्प ज्ञान के कारण उचित रोजगार शहरोॱ मेॱ नहीं मिलता है। उन्हें अपने ग्रामीण परिवेश में उपयुक्त कौशल और रोजगार की आवश्यकता है। ग्रामीण युवाओं को शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार और व्यावसायिक गतिविधि प्रदान करना सार्थक है यदि वे ग्राम उद्योगों और गौशाला जैसे साधनो से जुड़े हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी ग्रामीण लोगों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ग्रामोद्योग और गौशाला पर बल दिया, उनके अनुसार “आज भी, गायों के पास कृषि-समुदाय को समाधान प्रदान करने की अंतिम कुंजी है और वे अपने समग्र सशक्तिकरण में सफलतापूर्वक योगदान दे सकती हैं। दुनिया को ठीक करने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ने के लिए फिर से भारतीय गौ संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करने और प्रचारित करने की तत्काल आवश्यकता है।”

जैसा कि भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दिये गये राष्ट्र उद्घोषन में कहा, ‘‘हम प्राचीन काल से ‘गाय‘ को एक दिव्य मां मानते हैं। गौशाला के साथ ग्रामोधोग भारत के किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।”

महान गौ सेविकों को समर्पित गौका पैराडाइज की अनूठी गौं संरक्षण पर आधारित परियोजना है इसका उद्देश्य भारत के प्राचीन गाय और गौशाला व डेयरी प्रबंधन के ज्ञान को दुनिया की नवीनतम तकनीक से जोड़ना है। यह महर्षि वशिष्ठ संस्थान गौशाला प्रबंधन और अनुसंधान परिषद् (एमवीआईजीएमआरसी) की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। गौरतलब है कि परिषद् की स्थापना फरवरी 09, 2022 को की गई। इसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। परिषद् कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत मिनीस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स, भारत सरकार के साथ पंजीकृत (संख्या 393890) है। यह ‘गौ ग्रिड‘ स्थापित करने के साथ-साथ गौशालाओं और डेयरी उद्योग के मानक को बढ़ाने के लिए अद्वितीय संस्था है।

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